Monday, 13 March 2017

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कविता


जनसख्या मे अगर यूही वृदि होगी २१ वी सदी कुछ ऐसी होगी
BA , MA  पास बनेगे चपरासी, कितने ही ग्रेजुएट देंगे खुद को फांसी
माँ बेटे को नहीं नौकरी को रोएगी.
२१ वी सदी कुछ ऐसी होगी
हर वाहन को इंसानों से धक्का देकर चलवाया जायेगा जब तेल से सस्ता इन्सान यहाँ मिल जायेगा
भीड़ होगी वह सबसे ज्यादा जहा पेट्रोल की नुमाइश होगी
२१ वी सदी कुछ ऐसी होगी
जगह न होगी रहने की कई लोगो एक कमरे मे रखा जायेगा उसपे होगा ये जुल्म कि रेंट बढाया जायेगा
हर कोई मध्यमवर्गीय रहने को टेंट लगाएगा शाद्दी टेंटो मे नहीं वकीलों के दस्तावजो मे होगी
२१ वी सदी कुछ ऐसी होगी
हथकंडे न चल जाये किसी शैतान के जो बेचने लगे मांस को इंसान के
तुम न खाना यारो शायद उसमे मेरी भी हड्डी होगी
२१ वी सदी कुछ ऐसी होगी

लेखक :-  कमल किशोर “काफ़िर”

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